Apna Lakshya News
– प्रदूषण ने कोयलांचल वासियों का जीना किया हराम
“एसईसीएल के सोहागपुर एरिया में खदानों के लिए कोलडस्ट प्रदूषण से बचाव के लिए पानी का छिड़काव के लिए स्पीपिंग मशीनों युक्त पांच वाहन सोहागपुर एरिया को दिए गए हैं जो अमलाई ओसीएम, शारदा ओसीएम में शो पीस बनी हुई है। इन मशीनों का उपयोग पानी छिड़काव के लिए नहीं किया जाता जिससे खदानों में कोलडस्ट उड़ता रहता है जिससे आवागमन करने वाले कालरी कर्मचारी रोड के बाहर मेन रोड से निकलने वाले राहगीर भी परेशान रहते हैं।”
धनपुरी। एसईसीएल सोहागपुर एरिया की सबसे बड़ी खदान अमलाई ओसीएम मेन रोड से लगे कोयला यार्ड में बड़ी-बड़ी गाड़ियों के आवागमन से उड़ने वाले कोल डस्ट के गुब्बारे आम लोगों के स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती बनकर रह गए हैं। प्रबंधन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है जिससे लोगों को इस रास्ते से गुजरने में तरह तरह की परेशानी होती है, आए दिन एक्सीडेंट होते हैं और लोगों में दमा व फेफड़े से संबंधित गंभीर बीमारियों के बढ़ने की संभावना बनी रहती है। इस बात की जानकारी उपक्षेत्रीय एवं क्षेत्रीय प्रबंधन के अधिकारी कर्मचारियों को भी भली-भांति है, लेकिन निहित स्वार्थों और उच्चाधिकारियों के सामने मितव्ययिता का ढोंग रचने की साजिश के चलते इस गंभीर समस्या के समाधान की ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
दरिया दिली का ढोंग
प्राप्त जानकारी के अनुसार सोहागपुर एरिया की विभिन्न खदानों विशेषकर अमलाई ओसीएम से दिन-रात ट्रकों मे कोयले के परिवहन से उड़ने वाली कोल डस्ट से स्थानीय लोगों को नित नई गंभीर बीमारियां परोस रही है। हालांकि कालरी प्रबंधन द्वारा जन स्वास्थ्य के प्रति अपनी चिंता और दरियादिली का प्रदर्शन करने के लिए कुछ समय से पानी का पूरे दिन में 3, 4 बार छिड़काव किया जाता है लेकिन गर्मियों के दिनों में तुरंत पानी सूख जाता है और कोल डस्ट से लोगों को निजात दिलाने का कथित प्रयास मात्र दिखावा साबित हो रहा है|
हर उपाय बेअसर
शहडोल-अमरकंटक मार्ग में पूरे समय कोल डस्ट उड़ने के चलते इस मार्ग से निकलने वाले राहगीरों, वाहन चालकों को कोल डस्ट के कारण यहां निकलने के लिए हजार बार सोचना पड़ता है। रोड से लगे कोल साइडिंग के चलते कोल प्रदूषण से आसपास के रहने वाले लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है। बड़े अधिकारी नेता व संपन्न वर्ग के लोग तो चार पहिया वाहनों मैं विंडो ग्लास बंद कर फर्राटे से निकल जाते हैं उन्हें शायद इस समस्या का एहसास भी नहीं हो पाता होगा लेकिन आमजन एवं सार्वजनिक वाहनों के साथ ही दुपहिया तिपहिया वाहनों से आवागमन करने वाले लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है हवा में उड़ने वाले कोयले के छोटे-छोटे कण सीधे इंसान के फेफड़ों पर डेरा जमाते हैं और लोगों का जीना ही दूभर कर देते हैं। हालांकि एरिया प्रबंधन के अधिकारियों द्वारा इस समस्या के समाधान के उपाय के कई दावे अब तक किए जाते रहे हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि अब तक ऐसे सभी उपाय बेअसर ही साबित हुए हैं।
सड़क-जमीन पर मोटी परत
प्राप्त जानकारी के अनुसार रीवा अमरकंटक राजमार्ग होने के साथ ही अधिकारियों के आवागमन के चलते यह मार्ग अक्सर व्यस्त ही रहता है। इस मार्ग से हर दिन कालरी प्रबंधन के अधिकारी गुजरते हैं और अपने गाड़ी का कांच बंद कर निकल जाते हैं उन्हें ड्स्ट की समस्या से जैसे कोई लेना देना नहीं है। उड़ते कोल डस्ट फव्वारे को रोकने व उससे लोगों को बचाने के लिए प्रबंधन द्वारा पानी का छिड़काव नाम मात्र के लिए किया जाता है जबकि रोड के दोनों तरफ 5-5 इंच मोटी कोल्डेस्ट की परत बिछी हुई है, उसे हटाया नहीं जाता है। निकलने वाले ट्रकों के कारण उड़ने वाले कोल डस्ट के गुब्बारे से आम लोगों की सुरक्षा और बचाव के लिए कोई उपाय नहीं बरते गए हैं जिससे कोल प्रदूषण से बचाने के लिए पानी का छिड़काव एक अच्छा विकल्प माना जा सकता है। प्रबंधन के द्वारा पारी छिड़काव के लिए भारी भरकम मशीन लगाए गए हैं इससे समय समय पर छिड़काव की व्यवस्था भी होती है लेकिन फिर भी कोल डस्ट की समस्या बनी हुई है।
स्थानीय रहवासियों क्षेत्रीय ग्रामीणों सहित विभिन्न श्रम संगठनों के पदाधिकारियों ने एसईसीएल सुहागपुर एरिया प्रबंधन के अधिकारियों का ध्यान कोल डस्ट की समस्या की ओर आकृष्ट कराते हुए इस समस्या के स्थाई और कारगर समाधान की मांग की है ताकि लोग असमय काल के गाल में समाने से बच सकें