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[जिला प्रशासन से जनप्रतिनिधियों ने की शिकायत फिर भी कोई कार्यवाही नहीं!]
शहडोल (मध्यप्रदेश)। एक ओर जिला मुख्यालय शहडोल नगर की सड़कें वैसे भी खस्ताहाल हैं, जो ठीकठाक हैं भी उस पर भी अल्ट्राटेक बिचारपुर कोल माईन्स के द्वारा गृहण लगाया जा रहा है। रोज रात में 10 बजे के बाद बिचारपुर कोल माईन्स से निकल कर रेल्वे अंडरब्रिज, भारती पैलेस, कोतवाली, स्टेडियम से होते हुए जयस्तम्भ से कटनी, सतना की ओर भारी भरकम लम्बे-चौड़े ट्रेलर धड़धड़ाते हुए बेखौफ नगर में प्रवेश करते हैं जैसे इन्हें लाईसेंस मिल गया हो।
आपको बता दें इन भारी भरकम ट्रेलरों का वजन कोयला सहित 70 टन से अधिक होता जो नेशनल हाईवे की पासिंग हैं। लेकिन ये कोयला से लदे 70 टन से अधिक भार क्षमता वाले ट्रेलर नगर की 10-12 टन की क्षमता वाली नगरपालिका की सड़क का सीना चीरते आधी रात से सूरज निकलते तक बेखौफ़ दौड़ते देखे जाते हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो बरसात में नगर की ये सड़कें गड्ढे में तब्दील होते देर नहीं लगेगी।
एक्सिडेंट का खतरा
नगर के अंदर आने जाने वाले छोटे दुपहिया-तिपहिया और चारपहिया वाहनों और पैदल आने जाने बाले लोगों से कोयला भरे और खाली आने जाने ट्रेलरों से एक्सिडेंट का खतरा बना रहता है। गन्तव्य तक कोयला छोड़ने के बाद वापसी भी नगर की इसी अंदर वाली सड़क से करते हैं। जिससे शराब के नशे में भी कई ट्रेलर आपरेटर को पकड़ा गया है लेकिन मंथली इंट्री के कारण इन्हें आशीर्वाद मिल जाता है?
नगर में प्रदूषण फैला रहे कोयले से भरे ट्रेलर
ट्रेलरों में ओवर लोड कोयला बिना तालपत्री से ढकें ही परिवहन किया जाता है जिससे पूरा जिला मुख्यालय के साथ साथ गंतव्य तक प्रदूषण का फैलाव होता है। नगरवासी बताते हैं कि इस क्षेत्र में जबसे कोयला से लदे ये भारी भरकम वाहन निकलने लगे हैं, धूल के कड़ घरों में पावडर बन हवा के साथ छाया रहा है बल्कि इंसानों के फेफड़े में समा रहा है। वहीं इनकी इंजन और हार्न की आवाज से ध्वनि प्रदूषण से रात्रि में लोगों की नींद में भारी खलल पड़ता है। इससे कानों में तेज आवाज से बहरेपन की बीमारी भी पनपने का खतरा बढ़ सकता है।
जिला प्रशासन का आशीर्वाद
कुल मिलाकर अल्ट्राटेक और उसके ट्रांसपोर्टरों को जिला मुख्यालय नगर की गलियों से कोयला परिहन के लिए जिला प्रशासन का आशीर्वाद प्राप्त लगता है। जिससे जान पड़ता है कि नगर के वासिंदों की परेशानी को देखने वाला कोई धनीधोरी नहीं है जो खतरे से भरे ट्रेलरों को नगर में प्रवेश से रोक सके।
जनप्रतिनिधियों की शिकायत को अहमियत नहीं दी जिला प्रशासन ने
ऐसा नहीं है कि जनप्रतिनिधियों द्वारा कोयला परिवहन में लगे वाहनों का जिला मुख्यालय के मुख्य में प्रवेश पर रोक लगाने की मांग नहीं की गई है। लेकिन अल्ट्राटेक, जिला प्रशासन से भारी जान पड़ता है। तभी तो जिला प्रशासन जनप्रतिनिधियों की शिकायत अथवा मांग को कचरे के डब्बे के लायक समझ लिया है। आपको बता दें अंडर ब्रिज से जयस्तम्भ चौक का इलाका वीआईपी इलाका है। फिर भी जिला प्रशासन व परिवहन विभाग जिम्मेदारी का निर्वहन न कर घृतराष्ट्र की तरह आँख में पट्टी बाँध मदमस्त है।