रेत खदानो मे जारी खनिज अधिकारी अनूपपुर की शह पर अंधाधुंध रेत का अवैध खनन

नीलेश द्विवेदी उप सम्पादक 7999752627

दुर्दशा: खतरे मे सोन नदी का अस्तित्व और केजी डेवलपर्स की चांदी…

22 की आड़ मे हथियाई 40 से ज्यादा खदान, जीवनदायनी नदी का प्राकृतिक स्वरुप बिगाड़ रहा केजी डेवलपर्स

चोर की दाढ़ी मे तिनका हिन्दी की एक प्रसिद्ध लोकोक्ति है जिसका प्रयोग अक्सर हिन्दी के लेख, निबंध आदि में किया जाता है लोकोक्ति का वाक्य प्रयोग – कार्यालय के ठीक बगल मे 200 मीटर वाली रेत खदान की निगरानी हो नही पा रही और जिम्मा 22 खदानो को नियमानुसार परिपालन पर संचालित कराए जाने और लीज क्षेत्र से बढ़कर किया खनन पर नियंत्रण और कार्रवाई की जगह मीडिया के सवाल का जवाब विधानसभा लगवाए और आरटीआई लगाए कहना ठीक वैसा ही है जैसाकि अनूपपुर मे केजी डेवलपर्स नामक रेत ठेकेदार के अवैध रूप से होते नंगी आखो से देखे जाने पर मीडिया जांच कार्रवाई पर सवाल उठाए तो अधिकारी उनसे बहस करने लग जाए 2 घंटा इंतजार कराए टाल-मटोल करे फोन पर समय लेकर अपाईटर्मेंट्स सुनिश्चित किए जाने की बात कहना…..मीडिया को गुमराह करना हो सकता है इनकी योग्यता यही हो पर मीडिया जनता से सरोकार रखती है सोन समेत जिले के तमाम नदी नाले किसानो की लाइफलाइन और पशु पक्षियो की प्यास बुझाने का काम करती है इसके अस्तित्व पर संकट गहराता जा रहा है लगातार इस खबर पर पढ़ खास रिपोर्ट…

शहडोल सम्भाग अनूपपुर जिले मे किसानो के लिए वरदान कहे जाने वाली सोन नदी का अब अस्तित्व पर संकट गहराता जा रहा है इसका मुख्य कारण केजी डेवलपर्स है जिन्होने मानो जिले भर की 22 रेत खदान की आड़ मे अवैध उत्खनन का जुगाड लगा लिया जिसका जीता जागता प्रमाण 181 मे ग्रामीणो की शिकायत पर मानपुर मे की गई कार्रवाई है और कटकोना के ग्रामीण इन ठेकेदार के भय और आतंक के निर्मित माहौल से सड़क पर उतरकर जिला प्रशासन को रेत ठेकेदार केजी डेवलपर्स पर कार्रवाई न किये जाने को लेकर आर-पार की लड़ाई को तैयार है…


 सिंचित रकबा हो रहा प्रभावित बेबस किसान…


जिले की 75% आबादी खेती किसानी पर आधारित है सीन इन किसानो की लाइफलाइन है लेकिन ज्यादातर खेतिहर किसान अब केजी डेवलपर्स की हरक़तो से परेशान हलकान है यहा अमरकंटक से होकर अनूपपुर से गुजरने वाली सोन नदी की बहती ग्रीष्म ऋतु आने के पहले ही टूट गई है रेत खनन ठेकेदार धारा को रोककर रेत निकालने के लिए हैवी चैन माउंटिग पोकलेन मशीन द्वारा नदी के भीतर तालाब नुमा खाई खोदकर रेत उत्खनन की जा रही है जिससे सोन नदी का भौतिक स्वरूप बिगड़ रहा है जो एनजीटी के नियमो के विरुद्ध है साध ही रेत ठेकेदार के माइनिंग प्लान का भी सरासर उल्लंघन है ….. हद तो तब है जब ठीक खनिज विभाग कार्यालय सोन नदी के बगल मे है और खनिज विभाग के जिम्मेदारो को इसकी भनक नही तो इससे अंदाजा लगाया जाना चाहिए कि जिले की बाकी दो दर्जन खदाने केजी डेवलपर्स कैसे नदी नालो के अस्तित्व को मिटाकर संचालित की जा रही होगी…..


अधिकारी की शह मे वैध की आड़ लेकर अवैध खनन….


अनूपपुर जिले मे केजी डेवलपर्स भोपाल ने 22 खदान ली है परंतु इसके संचालन को लेकर जिले भर से शिकायत दर्ज करवाई जा रही है इनके लठैत और ग्रामीणो का आपसी संघर्ष देखने को मिल रहा है वही जिला प्रशासन की अवैध खनन रोकने मे नाकामी भी सामने आई है यहा बीते माह मानपुर, कटकोना मे सीएम हेल्पलाइन की शिकायत के बाद कार्रवाई की गई….यहा वैध खदान की आड़ लेकर केजी डेवलपर्स 40 से अधिक रेत खदान संचालित किए हुए है जिसमे बहेराबाध, मौहरी, जमुडी, थानगाव, बेलगाव और मंत्री बिसाहुलाल का गांव परासी प्रमुख है…..


 सोन समेत सहयोगी नदी नालो का जमकर दोहन….


अनूपपुर जिले की जीवनदायिनी सोन नदी समेत दर्जनो सहायक नदियो से हो रहे रेत के अवैध तरीके का खनन ने इन नदियों का दम निकाल दिया है। स्थानीय पुलिस, सत्ता पक्ष के कुछ रसूखदार नेताओं की मिलीभगत से चल रहे रेत के खेल ने नदियों के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है। कल तक कल-कल बहने वाली नदियां अब सूख चुकी हैं और उनमें कलेक्टर की अनुमति से हैवी पोकलेन मशीन लगाई गई है और यही कायदे-कानून तोड़कर लीज क्षेत्र से बाहर जाकर रेत उत्खनन कर नदियो का स्वरूप बिगाड रही है…..


जिले मे गाइडलाइंस का सरासर उल्लंघन….


अवैध खनन पकड़े जाने पर सरकार के राजस्व की क्षति की पूर्ति होती है, लेकिन पर्यावरण को हुए नुकसान पर कोई बात नहीं होती। एनजीटी ने पर्यावरण विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिए थे कि अवैध खनन के कारण नदी को हुए पर्यावरणीय क्षति की गणना कर उसके पुनर्वास पर होने वाला खर्च खननकर्ता से लिया जाए परतु अनूपपुर जिले मे रेत ठेकेदार केजी डेवलपर्स के रसूख, पैठ के आगे सब नतमस्तक है….अवैध खनन पर तकनीकी रूप से निगरानी के लिए एनजीटी ने कहा था कि बिना जीपीएस लगे वाहनों से रेत की ढुलाई की अनुमति नहीं होनी चाहिए। सभी रेत के खदानों का जियो टैगिंग किया जाना चाहिए जो अनूपपुर मे नही है…


पशु-पक्षी तक रह जाएगे प्यासे….


एनजीटी के निर्देशों का उल्लंघन कर मनमाने तरीकों से रेत निकाले जाने से नदियों की धार समय से दो माह पहले ही टूट गई और नदी का प्राकृतिक व पारिस्थिकीय तंत्र भी नष्ट हो गया। जगह जगह नदी में की जगह मिट्टी नजर आने लगी है। पशु पक्षियों तक को पीने के लिए पानी नहीं बचा….इस तरह नदियो के दोहन पर समय रहते लगाम न लगाई गई तो पशु पक्षी समेत मानव जीवन भी बूंद बूंद को तरस जाएगा इस बात से इंकार नही किया जा सकता..


जनता के बोल…..


यह ग्रामीण क्षेत्र मे स्थित यह है कि पंचायत की सड़क अभी अभी बनी है और इनके रेत लोड ट्रक और मशीन उस पर दौड रही है सब हैवी और ओवरलोड रहती है 2 माह मे सडक टूट जाएगी। छोटा सा गांव है स्कूल खेलमैदान सभी इस मार्ग पर है दुर्घटना की आशंका है इन्हे वैकल्पिक मार्ग से परिवहन करना चाहिए,,,
भागवली पनिका सरपंच, ग्राम कटकोना, अनूपपुर
(धरना पर बैठ केजी डेवलपर्स का विरोध जताते)


 प्रशासनिक प्रतिक्रिया……


सीतापुर रेत खदान संचालित केजी डेवलपर्स भोपाल द्वारा की गई है सोन नदी के भौतिक स्वरूप एवं धार रोक कर उत्खनन की बात सामने आई है इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
संजीव कुमार मेहरा
R. O. क्षेत्रीय कार्यालय म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शहडोल

#अवैध खनन
Comments (0)
Add Comment