By: संजीव ठाकुर
पुराने सामरिक और व्यापारिक समझौतों में नयापन |
Apna Lakshya News: क्वाड सम्मलेन के बाद भारत के संबंधों अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया से काफी नजदीक हो गए थे| इस सम्मलेन में प्रशांत महासागर में चीन की बढती हरकतों और ताकत को रोकने सम्बन्धी प्रयासों को रोकने हेतु सयुंक्त रणनीति बनाई गई थी,फलस्वरूप चीन ने सतर्क होकर रूस से अपने सम्बन्ध आगे बढाकर नजदीकी करने शुरू कर दिए थे | जिससे भारत को अपने परंपरागत मित्र से दूरियां महसूस होने लगी थीं | रूस के राष्ट्र प्रमुख ने कुछ ऐसा रुख दिखाया था कि भारत को लगने लगा कि रूस भारत से खफा हो गया है, पर रूस के ताजा बयान से कि भारत और रूस के तमाम पुराने सामरिक और व्यापारिक अनुबंधों को आगे बढाया जायेगा, भारत ने राहत की साँस ली है|अब वह वैश्विक शांति की ओर आसानी से बढ़ सकता है|
भारतीय गणराज्य की जो स्थिति स्वतंत्रता के बाद 1947 में थी, वैसी स्थिति तथा परिस्थिति ना तो 20 वीं सदी में थी, और ना ही आज ही है। वैसे भी किसी देश की विदेश नीति उसके राष्ट्रीय हितों के अनुरूप दूसरे अन्य देशों के साथ आर्थिक राजनीतिक सामाजिक तथा सैनिक संबंधों के पालन में की जाने वाली नीति का संपूर्ण समावेश होती है।समय-समय पर अंतरराष्ट्रीय स्थिति एवं परिस्थिति के अनुरूप हर देश अपनी विदेश नीति में परिवर्तन भी करते जाते हैं। स्वतंत्रता के बाद जवाहरलाल नेहरू बहुत ही महत्वपूर्ण विदेश नीति के प्रेरणा स्रोत थेl उन्हें विदेश नीति का सूत्रधार माना जाता है।
प्रधानमंत्री के साथ साथ उन्होंने विदेश मंत्री की भूमिका भी निभाई थी। और वैश्विक निशस्त्रीकरण गुटनिरपेक्षता और पंचशील के सिद्धांतों की नींव रखी थी, उन सिद्धांतों के चलते भारत में तथा तटस्थता सिद्धांतों को अपनाकर युद्ध और विवाद से भारत को दूर रखा।जवाहरलाल जी की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने उन्होंने विदेश के कार्यों के लिए एक अलग मंत्री रखा भारत के प्रथम विदेश मंत्री डॉ स्वर्ण सिंह बने। 14 माह के कार्यकाल में लाल बहादुर शास्त्री ने विदेश नीति के महत्व को समझते हुए यथार्थवादी नीति का परिपालन किया।इस दौरान भारत के संबंध दक्षिण एशियाई देशों से काफी घनिष्ठ हुए तथा सोवियत संग रूस भारत के मित्र राष्ट्र के रूप में तेजी से अस्तित्व में आया।
1965 में पाकिस्तान ने जब भारत पर आक्रमण किया, तो लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में भारत ने उसका मुंह तोड़ जवाब देकर उसे परास्त किया,और उसे भारत के सामने घुटने टेकने पड़े ।रूस की मध्यस्थता में ताशकंद समझौता हुआ,जिसमें भारत द्वारा जीती हुई जमीन को पाकिस्तान को वापस किया,और ताशकंद समझौते के दौरान लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय तरीके से मृत्यु हुई। उनके बाद श्रीमती इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री बनी उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को ध्यान में रखकर विदेश नीति में बहुत बदलाव किए। महत्वपूर्ण प्रधानमंत्रियों में डॉक्टर मनमोहन सिंह नई आर्थिक नीति को आमूलचूल परिवर्तन किया एवं विदेशों में अपनी धाक जमाई ।
उनके कार्यकाल में अनेक सैन्य समझौते भी हुए एवं वैश्विक स्तर पर भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा। 2014 में भारतीय जनता पार्टी सरकार बनी और प्रधानमंत्री बने उन्होंने तत्काल जापान की यात्रा कर अनेक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए इसके तुरंत बाद वे अमेरिका की यात्रा पर गए एवं व्यापार निवेश आर्थिक सहयोग सामरिक मामलों में सैन्य समझौते भी किए। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ के मित्रता का हाथ बढ़ा कर अनेक समझौतों को मूर्त रूप दिया
। उन्होंने “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” को अपनाकर लगभग 40 देशों की यात्रा कर 2014 से 17 तक विदेश नीति में आमूलचूल परिवर्तन किए, चीन जापान दक्षिण एशिया के देश अरब देश और भी तमाम देशों में यात्रा कर अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग समझौते किए गए। भारत में उनके नेतृत्व में 2020 तक पड़ोसी देशों क्षेत्रीय संगठनों के मध्य मजबूत पहचान बनाई, वर्तमान में भारत सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता होने के कारण विश्व शांति शक्ति बनने की ओर अग्रसर है। भारत की विदेश नीति के चलते भारत के ही अधिकारी को इंटरनेशनल कोर्ट आफ जस्टिस का जज बनाया गया।
2018 में भारत को ऑस्ट्रेलिया ग्रुप का सदस्य बनाया गया जो एक बड़ी सफलता इसी तरह भारत और ईरान के सहयोग से ईरान में चाबहार बंदरगाह का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण कदम था। जिससे सेंट्रल एशिया तथा मध्य एशिया में भारत के संबंध प्रगाढ़ होंगे, भारत वर्तमान में अमेरिका जैसी महाशक्ति के साथ कूटनीति तथा विदेश नीति के तहत मित्रवत व्यवहार में आ गया है। एवं विश्व के सभी देशों के साथ समन्वय पूर्वक संबंध स्थापित कर चुका है।
इस तरह भारत अपनी विदेश नीति के तहत अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ मधुर संबंध बना कर, हमारे दो परंपरागत दुश्मन पड़ोसी देश वैश्विक राजनीति में अलग-थलग कर दिया। और अंतरराष्ट्रीय स्थिति में भारत एक मजबूत राष्ट्र बन के कई देशों के मध्य मध्यस्था भी कर चुका है। ऐसे में भारत को कोई भी देश वैश्विक महाशक्ति बनने एवं आत्मनिर्भर भारत बनने से रोक नहीं सकता। करोना के महासंक्रमण काल में भारत ने दवाइयों तथा वेक्सीन की मदद कर वैश्विक मानव सुरक्षा की नीव रख एक बड़ा मददगार देश बन गया है।