शहडोल पंडित शंभूनाथ शुक्ल
विश्वविद्यालय में बिना स्क्रीनिंग के हो रही है फर्जी भर्तियां
अपना लक्ष्य न्यूज
पंडित शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय का मामला होटल से रजिस्ट्रार और महिला कर रही मैनेजमेंट.??
68 सहायक प्राध्यापक व 19 अन्य पदों के लिए हो रही भर्ती के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन पर मैनेजमेंट कर नौकरी देने के आरोप लग रहे हैं। राजनीति विज्ञान की पूर्व घोषित प्राध्यापिका व जबलपुर के तथाकथित रजिस्टार होटल से यह पूरा खेल-खेल रहे हैं..?? कुल 87 पदों के लिए करोड़ों के लेन-देन के आरोपों की चर्चा अब चौराहों तक पहुंच चुकी हैं।
(अनिल तिवारी)
शहडोल। लगभग 5 साल पहले शहडोल को प्रदेश सरकार के द्वारा विश्वविद्यालय की सौगात दी गई थी, इन 5 सालों में यह पहला मौका है, जब विश्वविद्यालय में भर्ती के नाम पर लेन-देन की खुलेआम सौदेबाजी के चर्चे शहर के चौराहों पर हो रहे हैं, इस संदर्भ में विश्वविद्यालय प्रबंधन की चुप्पी और कोई भी बयान न देना इन चर्चाओं को बल दे रहा है, वहीं भर्ती के दौरान जो प्रक्रिया यूजीसी के द्वारा निर्धारित की गई है, उसे दरकिनार करना और भर्ती प्रक्रिया संपन्न होने से पहले ही कुछ की नियुक्ति होने की चर्चाएं कहीं न कहीं विश्वविद्यालय प्रबंधन और प्रदेश भाजपा सरकार की साख को कटघरे में जरूर खड़ा कर रही है।
यह हो रहा विश्वविद्यालय में
बीते करीब 6 से अधिक माह पूर्व विश्वविद्यालय प्रबंधन ने 19 पदों की भर्ती निकाली थी, जिसमें 6 सहायक ग्रेड-3, 9 लैब टेक्निशियन और 4 पद लायब्रेरी के लिए स्वीकृत थे, इसके बाद पुन: 68 पदों की भर्ती सहायक प्राध्यापकों के लिए भी विज्ञापन के माध्यम से निकाली गई। बीती 30 अप्रैल व 1 मई को 68 पदों के लिए लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया, इन समस्त पदों में चयनित प्रतिभागियों का न्यूनतम वेतन 1 लाख से अधिक बताया गया है। यहां तक तो, पारदर्शिता और प्रक्रिया आवेदन करने वाले प्रतिभागियों के समझ में आ रही थी, लेकिन इसके बाद नये कुलपति के नियुक्त होते ही आरोपों का दौर शुरू हो गया। आरोपों में कितनी सच्चाई है या आरोप निराधार हैं, यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकता है।
विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापकों के लिए जिन प्रतिभागियों ने आवेदन दिया था, उनके दावों और विश्वविद्यालय द्वारा भर्ती प्रक्रिया के लिए जारी की गई, गाइड लाईन पर यकीन करें तो, 68 सहायक प्राध्यापकों के चयन के लिए लिखित परीक्षा के उपरांत प्राप्त अंको और संलग्न दस्तावेजों के आधार पर मैरिट सूची तैयार की जानी थी, जिसमें 100 अंक अधिकतम होने थे, वहीं 50 अंक साक्षात्कार के दौरान दिये जाने थे, भर्ती प्रक्रिया के लिए पहले संलग्न दस्तावेजों की स्क्रीनिंग की जानी चाहिए, उसी आधार पर प्रतिभागियों को अंक आवंटित किये जाने चाहिए और मैरिट सूची बनाकर उसका प्रकाशन विश्वविद्यालय के सूचना पटल और वेबसाइट पर देना चाहिए, लेकिन आरोप हैं कि इस भर्ती में इस तरह की कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।
बुलाने थे 12, बुलाए मनमर्जी से
चयनित बुलाए गये प्रतिभागियों के आरोपों पर यकीन करें तो, एक पद के लिए कम से कम 12 लोगों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाना चाहिए था, लेकिन उन्हें विश्वविद्यालय से मिली खबर के बाद यहां पहुंचने के उपरांत ही यह जानकारी लगी की 12 नहीं बल्कि 12-12 के कई ग्रुप बुलाए गये हैं, आरोप तो यह भी लगे कि मैरिट सूची और स्क्रीनिंग में आगे के नंबर के लिए कुछ लोग उनके नंबरों पर संपर्क भी कर रहे हैं, हालाकि नौकरी की चाह में वर्षाे से भटक रहे बेरोजगारों ने खुलकर शिकायत करने से परहेज की।
किसके इशारे पर सौदेबाजी
बीते कुछ सप्ताहों से विश्वविद्यालय कैंपस और इससे जुड़े लोगों की माने तो, सभी 87 पदों के लिए खुलकर बोली लग रही है, पूरा का पूरा जिम्मा शहडोल से उठाकर भोपाल और जबलपुर के तथाकथित जोड़ी ने सम्हाल रखा है और शहडोल के बगिया तिराहे स्थित एक होटल के कमरे से सौदेबाजी और लेन-देन खुलकर हो रहा है, राजनीति विज्ञान की जानकार शर्मा नामक महिला और भोपाल के चतुर्वेदी नामक उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मिलकर मुखिया के इशारे पर सौदेबाजी कर रहे हैं, यह भी तय बताया जा रहा है कि महिला की भर्ती राजनीति विज्ञान के लिए निकाले गये पद पर प्रक्रिया संपन्न होने से पहले ही तय मानी जा रही है। हालाकि इन सभी आरोपों में कितना दम है, यह तो, भोपाल और दिल्ली में बैठे जिम्मेदारों की जांच के बाद ही तय हो पायेगा, लेकिन बिना आग के धुआं आखिर कहां उठता है।