सावधान कोरोना वायरस, चीन की भयानक साजिश, यह प्राकृतिक नहीं केमिकल वायरस है।
Apna Lakshya News
By: संजीव ठाकुर
पूरे विश्व में तबाही मचाने वाला कोरोना वायरस वैज्ञानिक के अनुसार किसी भी तरह प्राकृतिक नहीं है। यह वुहान( चीन) के रिसर्च लैब में कई सालों की रिसर्च के बाद कृत्रिम रूप से बनाया केमिकल वायरस है,अगर यह प्राकृतिक होता तो इस पर नियंत्रण किया जा सकता था, पर चूंकि यह केमिकल वायरस है, अतः किसी भी तरीके से इस पर नियंत्रण करना लोहे के चने चबाने जैसा है।
वैज्ञानिकों के अनथक प्रयास के बाद भी इसकी दूसरी लहर विश्व के अनेक देशों में फैली हुई है, कॅरोना की दूसरी लहर जहां भारत में तबाही मचा रही है, वहीं अमेरिका,ब्रिटेन, फ्रांस में भी इसके भयानक लक्षण दिखाई दे रहे हैं, चाइना ने इस पर काफी नियंत्रण किया हुआ है। हालांकि चीन से कोई भी समाचार वैश्विक पटल पर नहीं आ पाते हैं। इसीलिए चीन के बारे में कुछ कहना केवल अंदाजा लगाना ही होता है। यह केवल मेरा अनुमान नहीं है, बल्कि चिकित्सा क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार जीतने वाले जापान के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर डॉक्टर तासुकू होंजो का दावा है कि कोरोना वायरस किसी भी तरह प्राकृतिक नहीं है,
यह यदि प्राकृतिक होता तो पूरी दुनिया में यूं ही नहीं तबाही मचाता, क्योंकि विश्व के हर देश का अलग-अलग तापमान तथा अलग-अलग जलवायु होती है, अगर यह प्राकृतिक होता तो चीन की तरह अन्य देश जहां का तापमान तथा जलवायु चीन के जैसी ही है, वहीं पर यह अपना प्रभाव डालता पर यह वायरस अलग-अलग तापमान में भी अपना प्रभाव दिखा रहा है,जहां यह रेगिस्तान में लोगों को संक्रमित कर रहा है वहीं पर स्विजरलैंड जैसे ठंडे देश में भी यह लोगों को संक्रमित कर मौत के घाट उतार रहा है।
उन्होंने दावा किया है यह वायरस यदि प्राकृतिक होता तो गर्म राष्ट्रों में जाकर एक न्यूट्रल हो जाता। उल्लेखनीय है कि नोबेल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक ने मैं अपना दावा प्रस्तुत कर बताया है कि उन्होंने 40 साल तक तमाम जीव-जंतुओं का एनालिटिकल रिसर्च किया है, उन्होंने चमगादड़ पर भी रिचार्ज कर यह बताया चमगादड़ से कतई नहीं फैलता है यदि ऐसा होता तो इसके पूर्व भी चमगादड़ से यह वायरस फैला होता, उन्होंने बताया कि वे 4 साल तक चीन के योहान वैज्ञानिक रिसर्च सेंटर और लेबोरेटरी मैं गहन रिसर्च किया है, वह वहां के सारे टेक्नीशियन और रिसर्च स्कॉलर से परिचित हैं ।
उनसे जब फोन पर बात करने के लिए फोन लगाया गया तो उन सब के फोन बंद आ रहे हैं,और या तो वह मारे गए हैं या चीन की सरकार की कैद में है। चीन हमेशा झूठ बोलने का आदी है,और इन लोगों के संदर्भ में भी चीन ने झूठ तथा अफवाह फैला रखी है। उन्होंने पक्का दावा किया है कि यदि कोरोना वायरस प्राकृतिक निकला तो वह अपना नोबेल पुरस्कार वापस कर देंगे या फिर नोबेल पुरस्कार समिति उनका नोबेल पुरस्कार वापस ले सकती है। उन्होंने शर्तिया बताया कि यह युहान की लेबोरेटरी से बनाया गया केमिकल वायरस है, और चीन ने अपने दुश्मन देशों में यह फैलाकर केमिकल हमला करने की साजिश की है।
यह विदित है की अमेरिका तथा भारत उसके कट्टर दुश्मन हैं और अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस,इजराइल तथा अन्य यूरोपीय देशों के साथ भारत भी ईस वायरस के परिणाम को वृहद रूप से भुगत रहा है ,चीन परंपरागत रूप से हर मामले में झूठ बोलता चला आया है, और करोना वायरस के मामले में भी वह 100% झूठ बोल रहा है। यह वायरस कतई चमगादड़ से नहीं पैदा होता है, चीन ने तृतीय विश्व युद्ध की शुरुआत की बानगी वैश्विक पटल पर कोरोना वायरस नामक केमिकल वायरस विश्व में तबाही हेतु छोड़ दिया है। यह चीन की सुनियोजित और जानी बुझी साजिश का एक बड़ा हिस्सा है।
जापान के इस नोबेल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक का दावा कई मामलों में सही भी दिखाई देता है क्योंकि आज यह वायरस डबल म्युटेंट तथा ट्रिपल न्यूटेट के रूप में मानवता विरोधी होकर मानवीय संकल्पना उसे करें चीन ने इस केमिकल औजार को बनाने वाले सभी वैज्ञानिकों को मौत के घाट उतार दिया,एवं उन्हें सार्वजनिक होने से पहले ही गायब कर उन्हें मृत्यु दंड दे दिया, ताकि इस केमिकल वेपन का कोई सबूत शेष ना रह जाए, चीन एक खतरनाक देश है, वह अपनी-अपनी महत्वाकांक्षा तथा विस्तारवादी नीति के कारण अपने विरोधियों को परेशान कर व्यापारिक तथा सामरिक क्षेत्र में दबदबा बनाकर पूरे विश्व में अपनी बाहुबली छवि बनाना चाहता है।
इसे सोच समझकर वैज्ञानिकों को इस क्षेत्र में शोध कर कोरोनावायरस के संक्रमण के लिए वैक्सीन तैयार करना चाहिए। अन्यथा सारी की सारी मेहनत व्यर्थ जाने की आशंका हो सकती है, और विशेष तौर पर भारत, अमेरिका, ब्रिटेन,फ्रांस इजरायल तथा रूस को चीन से सतर्क रहने की बहुत ज्यादा आवश्यकता होगी. क्योंकि चाइना कोरोना वायरस की तरह अन्य वायरस तैयार कर विश्व युद्ध की तैयारी में जुट जाने की कोशिश कर रहा है। अतः विश्व के सभी देशों को चाइना से व्यवहार करते हुए विशेष सावधानी एवं सतर्कता बरतनी होगी तब ही मानव जाति का बचाव और उद्धार हो सकेगा।