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गंगा नदी में फेंकी कोरोना संक्रमितों की लाशें योगी सरकार की नाकामी बयां करती तस्‍वीरें

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Apna lakahya news


गंगा के निर्मल पानी को गंदा करने की जिम्मेदारी कौन लेगा?


कोरोना को कंट्रोल करने में नाकाम योगी सरकार
विजया पाठक


हाल ही गंगा नदी में बहती 100 से अधिक कोविड मरीजों की लाशें निकाली गई हैं। सोशल मीडिया पर सामने आई तस्वीरें विचलित करने वाली हैं, इन फोटोज में गंगा नदी में बहते सैंकड़ों शवों को दिखाया गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बिहार और उत्तर प्रदेश में गंगा नदी से 70 से अधिक शव बरामद किए गए हैं। दावा किया जा रहा है कि कोविड मरीजों के 100 से अधिक शवों को नदी में फेंक दिया गया। नदी में कोरोना मरीजों की लाशें मिलने के बाद अब लोगों में इस बात को लेकर दहशत फैल गई है कि क्या गंगा नदी के पानी से भी कोरोना महामारी फैल सकती है?

सवाल प्रदेश की योगी सरकार पर भी खड़े हो रहे हैं कि वह कोरोना को कंट्रोल करने में एकदम नाकाम हैं। कोरोना से मरने वालों की तादात इतनी है कि उनके परिजन विधि विधान से इन शवों का अंतिम संस्‍कार भी नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वे इन शवों को या तो गंगा नदी में बहा रहे हैं या घाटों पर रेत में दफना रहे हैं।


देश में कोरोना संक्रमण की स्थिति बहुत भयावह स्थिति पहुंच गई है। मध्य प्रदेश, उत्तरप्रदेश समेत बिहार जैसे बड़े राज्यों में जो स्थितियां देखने को मिली हैं वो सच में चिंता का विषय है। इतना ही नहीं इन राज्यों में कोरोना संक्रमित मरीजों की लाशों की भयावह तस्वीर ने इंसानियत को पूरी तरह से झंकझोर कर रख दिया है। एक तरफ कहीं शमशान घाट में एक साथ सैकड़ों लोगों की चिताओं से उठती आग की लपटे देखने को मिलीं तो कहीं गंगा और अन्य नदियों के किनारे अधजली लाशें बड़ी संख्या में देखने को मिली। हाल ही में बिहार के बक्सर के बाद उत्तर प्रदेश के गाजीपुर, प्रयागराज में गंगा नदी में कई लाशें तैरती दिखी हैं।

वहीं प्रयागराज में गंगा नदी के घाटों पर सैकड़ों की संख्‍या में शवों को दफनाया गया है। श्मशान घाट पर 15 से 20 हज़ार ख़र्च हो रहा है। बक्सर के श्मशान घाटों पर एंबुलेंस से शव उतारने के लिए 2000, लकड़ी व अन्य सामान के लिए 12 हज़ार रुपए लग रहे हैं। निश्चित तौर पर गरीब लोग इतनी राशि अदा नहीं कर पा रहे हैं और मजबूरी में ऐसे कदम उठा रहे हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों के भीतर दो दर्जन से ज्यादा लाशें अलग-अलग जगहों पर दिखी हैं जो गंगा नदी के किनारे मिली हैं।

कई घाटों पर भी शव नदी में पड़े मिले हैं। इतना ही नहीं इन शवों के कोरोना संक्रमित होने की आंशका के चलते ग्रामीण लोग बुरी तरह से भयभीत हो चुके हैं। यह उत्तरप्रदेश के योगी सरकार की नाकामी और जिला प्रशासन की लापरवाही का जीता जागता उदाहरण है कि नदियों में इस तरह से लाशों के ढेर मिल रहे हैं। राज्य में कोविड का डर लोगों के दिल और दिमाग में इस तरह से घर कर गया है कि लोग शवों का अंतिम संस्कार करने की बजाय गंगा में ही डाल दे रहे हैं। ऐसी ही भयावह स्थिति बिहार के बक्सर की है। जहां बक्सर जिले के चौसा प्रखंड के चौसा श्मशान घाट पर गंगा में कम से कम 71 लाशें तैरती हुई मिली हैं। चौसा के अधिकारियों ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए इस बात का अनुमान लगाया है कि बड़ी संख्या में लाशें गंगा में मिली हैं।

इस बात की संभावना है कि ये लाशें उत्तर प्रदेश से बहकर आई हैं। कुल मिलाकर दोनों ही राज्यों में मानवता को चूर-चूर करती यह भयावह तस्वीर देखने को मिली है, जो प्रशासन सहित सरकार की व्यवस्थाओं में तमाम प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है। क्योंकि यह योगी सरकार की लापरवाही का नतीजा ही है जो राज्य में इतने बड़े पैमाने पर लोग कोरोना संक्रमित हो रहे हैं और उन्हें समय रहते इलाज नहीं मिल रहा है, जिसके चलते कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है।


खैर, अब सवाल है गंगा नदी के स्वच्छता के अस्तित्व का। देश की प्रमुख नदियों में शामिल गंगा नदी पहले ही अपनी स्वच्छता और सफाई के लिए अपने अस्तित्व से लड़ाई लड़ रही है। ऐसे में अब नदी में इतनी बड़ी संख्या में मिली कोरोना संक्रमित लोगों की लाशों ने इसकी स्वच्छता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अगर ये कोविड संक्रमित लोगों की लाशें हैं तो नदी के पानी पर तो बेशक असर पड़ेगा। पानी बीमारी अपने साथ ही लेकर चलेगा। उस हिसाब से तो इस पानी का ट्रीटमेंट भी असंभव सी बात है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार अभी नदी के पानी को किसी भी काम के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ना तो अपने लिए और ना ही जानवरों के लिए।

मुंह, नाक, कान से कोविड का वायरस अंदर जाता है। अगर लोग इस पानी का इस्तेमाल करेंगे तो लोगों को वैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों के अलावा कोविड संक्रमण तक हो सकता है। ये जानलेवा साबित हो सकता है। राजनीति से जुड़े लोगों का मानना है कि कोरोना के वक्त में दोनों ही राज्यों में ग्रामीण स्तर पर टेस्टिंग का बुरा हाल है। ऐसे में लोग ठीक से इलाज या जांच नहीं करवाते और मृत्यु हो जाने पर उनके शवों को कोविड के डर और कमजोर होती आर्थिक स्थिति के चलते यूं ही फेंक दे रहे हैं। दोनों ही राज्य अपनी कल्याणकारी भूमिका निभाने की सख्त जरूरत है।


उत्‍तरप्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के कारण अंतर्राष्‍ट्रीय मीडिया में पूरे भारत भी किरकिरी हो रही है। क्‍योंकि गंगा नदी की विश्‍व व्‍यापी ख्‍याति है। यदि गंगा जैसी पवित्र नदी में कोरोना संक्रमितों की लाशें फेंकी जा रही है तो कहीं न कहीं प्रदेश सरकार की नाकामी है। योगी जी सिर्फ मीडिया का मुंह बंद करके सच्‍चाई से मुंह नहीं फेर सकते हैं। सच्‍चाई तो पूरे विश्‍व में दिख रही है।

इसके साथ ही गंगा में कोरोना संक्रमितों के शव फेंकने से गंगा नदी का पानी भी प्रदूषित हुआ है। जिसके लिए कौन जिम्‍मेदार है। अब सवाल उठता है कि क्‍या इन शवों के कारण कोरोना का संक्रमण और नही फैलेगा? इस पानी के उपयोग से निश्चित रूप से नदी के पानी का उपयोग करने वाले लोगों पर खतरा पैदा हो गया है। अब योगी जी इतनी बड़ी लापरवाही या अमानवीयता के लिए स्‍वयं को दोषी मानने की‍ हिम्‍मत करेंगे? या प्रशासनिक अफसरों पर गाज गिरा कर अपने आपको निर्दोष साबित करेंगे।

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