कोरोना पॉजिटिव सीनियर प्रोफेसर डॉक्टर का शव उनके घर के बाहर पार्किंग एरिया में ढाई घंटे तक पढ़ा रहा।
इंसानियत हुई शर्मसार…
इंदौर- देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के सीनियर प्रोफेसर डॉक्टर निरंजन श्रीवास्तव का शव उनके घर के बाहर पार्किंग एरिया में ढाई घंटे तक पढ़ा रहा। पूरा परिवार शव को दूर से देखकर रोता रहा। मोहल्ला पड़ोस के लोगों ने दूरी बनाकर रखी क्योंकि प्रोफेसर श्रीवास्तव कोरोनावायरस पॉजिटिव थे और MY hospital के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती थे। प्रोटोकॉल के अनुसार उनके शव को सीधे मुक्तिधाम ले जाना था परंतु एंबुलेंस वाला घर के सामने पार्किंग में रखकर चला गया।
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में 4 दिन पहले भर्ती किया था ।
चार दिन पहले डा. निरंजन श्रीवास्तव को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया। कुछ घंटे बाद आइसीयू में बेड मिला और उन्हें शिफ्ट किया। विश्वविद्यालय के कर्मचारी नेता सुरेंद्र मिश्रा ने बताया कि दो दिन से दवाई और अन्य वस्तुएं सर तक पहुंचा रहा था। रात को भी उनकी तबीयत अच्छी थी, लेकिन सुबह संक्रमण अधिक फैलने के चलते उन्होंने अंतिम सांस ली।
एंबुलेंस श्मशान घाट के बजाय घर पर शव को उतार कर चली गई
वे बताते हैं कि अस्पताल से एम्बुलेंस ने सुबह 10.35 मिनट पर उन्हें घर छोड़ दिया। पूछने पर भी एम्बुलेंस के ड्राइवर ने कोई जवाब नहीं दिया। बाद में फोन कर दोबारा उसे बुलाया भी। शव को घर के बाहर रखा दिया। इस बीच पारिवारिक मित्र विवेक शरण भी पहुंचे।
MY hospital वाले गलती मानने को तैयार नहीं थे
उन्हें इस हाल में देखकर एमवाय अस्पताल के जिम्मेदारों को फोन कर घटना के बारे में बताया और एम्बुलेंस चालक की लापरवाही बताई लेकिन कोई भी गलती मानने को तैयार नहीं था। बड़ी मुश्किल से ढाई घंटे बाद दोपहर 1:00 बजे दूसरी एंबुलेंस आई। मालवामिल मुक्तिधाम में दोपहर डेढ़ बजे अंतिम संस्कार हुआ।
प्रोफ़ेसर निरंजन श्रीवास्तव ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में 28 साल तक सेवाएं दी
विश्वविद्यालय के इस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट स्टडी (आइएमएस) में डा. श्रीवास्तव पढ़ाते थे। लगभग 28 साल से विश्वविद्यालय में सेवाएं दे रहे थे। इन दिनों वे विश्वविद्यालय के आटोमेशन प्रोजेक्ट से जुड़े थे, जिसमें परीक्षा-रिजल्ट से संबंधित कार्य को आनलाइन किया जा सके। इस सिलसिले में कई बार राजभवन में प्रेजेंटेशन भी दिया था। दो साल से डा. श्रीवास्तव ने कम्प्यूटर सेंटर का प्रभार संभाल रखा था।
जिन लोगों ने भी ये कृत्य किया है मालिक के वहां उनको जवाब देना है
डॉक्टर श्रीवास्तव को मैं बहुत करीब से जानता था वह भले इंसान थे।
अनिल यादव
पूर्व देवी अहिल्या विश्वविद्यालय महासभा सदस्य एवं अधिवक्ता उच्च न्यायालय की कलम से।