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कोरोना संक्रमण की रोकथाम और तमाम व्यवस्थाओं को अकेले कब तक संभालेंगे मुख्यमंत्री

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आपदा के समय में सरकार को भी पार्टी और सत्ता से ऊपर उठकर सोचना चाहिए और सर्वदलीय बैठक कर तमाम प्रभावशाली लोगों से मदद मांगे


स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी को तत्काल प्रभाव से स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी से दूर कर किसी संवेदनशील व्यक्ति को सौंपे प्रभार


By: विजया पाठक


प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। आए दिन इस संक्रमण की चपेट में आकर आए दिन सैकड़ों लोगों की मौत हो रही है। हर तरफ कहीं ऑक्सीजन की कमी तो कहीं बेड तो कहीं रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कमी को लेकर लोग परेशान है। अस्पतालों में हालात इतने बेकाबू है कि लोगों को सही ढंग से इलाज तक नहीं मिल रहा है। आलम यह है कि कोई बेड पर इलाज करवा रहा है तो कोई मजबूरन अस्पतालों की गैलरी, पार्क, पार्किंग आदि स्थानों पर बैठकर इलाज करवाने को मजूबर है। यह एक ऐसा समय है जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भाजपा, सरकार और पार्टी से ऊपर उठकर सोचना चाहिए और एक सर्वदलीय बैठक कर इस समस्या के निवारण की योजना बनानी चाहिए। निश्चित ही कोरोना की इस भयावह समस्या से निपटारा करना मुख्यमंत्री की सिर्फ जिम्मेदारी नहीं है। बल्कि उस हर प्रभावशाली व्यक्ति की है जो मध्य प्रदेश का निवासी है। फिर चाहे वो राजनेता हो, फिल्म अभिनेता हो, धार्मिक केंद्र संचालन कर्ता, या फिर व्यापारी। इन सभी से बातचीत कर मुख्यमंत्री को एक विशेष प्लानिंग करने की आवश्यकता है जिससे कोरोना के संक्रमण पर रोक लगाई जा सके और दर-बदर इलाज के लिए परेशान होते लोगों को इधर उधर भटकना न पड़े और उन्हें एक जगह स्थाई इलाज मिल सके। आखिरकार यदि प्रदेश में कोरोना संक्रमण पर लगाम लगती है और लोगों को इलाज और सुविधाएं बेहतर ढंग से मिलती है तो इसमें वाहवाही तो प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री की ही होगी।


कैलाश विजयवर्गीय और नरेंद्र सिंह तोमर कर सकते है मदद –

भाजपा के वरिष्ठ नेता और लंबे समय तक प्रदेश सरकार में मुख्य धारा में रहे कैलाश विजयवर्गीय से मुख्यमंत्री को बातकर एक कार्य योजना तैयार करना चाहिए। लगातार ऑक्सीजन कमी, इंजेक्शन की कमी जैसी समस्याओं से जूझ रही आम जनता की इस समस्या का निवारण कैलाश विजयवर्गीय कर सकते है, वे लंबे समय से राष्ट्रीय राजनीति में है ऐसे में सरकार को उनके इस प्रभाव का फायदा जरूर लेना चाहिए। इसके अलावा केंद्र में मंत्री पद पर विराजमान नरेंद्र सिंह तोमर से भी इस संबंध में बातचीत कर सलाह जरूर लेना चाहिए ताकि आपदा से जल्द से जल्द निपटा जा सके।


कमलनाथ भी आ सकते है काम –

मध्य प्रदेश के लिए यह एक ऐसा समय है जब शिवराज सिंह चौहान को पार्टी और सरकार से ऊपर उठकर सोचने की आवश्यकता है। ऐसे में उन्हें कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से बातचीत कर भी हल ढूंढना चाहिए, क्योंकि कमलनाथ भी देश के नामचीन व्यापारी वर्ग में अच्छी पैठ रखते है।


राज्यसभा ज्योतिरादित्य सिंधिया –

ज्योतिरादित्य सिंधिया का संबंध सीधे प्रदेश से है। वे यहां से राज्यसभा सांसद भी है। ऐसे में उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी बनती है कि वो राज्य सरकार की आगे आकर मदद करें। उन्हें चाहिए कि ग्वालियर सहित राजधानी भोपाल में या फिर इंदौर में अपने खर्च पर आईसोलेशन सेंटर तैयार करवाए ताकि प्रदेश में हो रही लगातार बेड की समस्या को दूर किया जा सके। आखिरकार सिंधिया ने अपनी मर्जी अनुसार अपने तीन लोगों को महत्वपूर्ण विभागों का मंत्री बनवाया और यह तीनों ही मंत्री अपने पोर्टफोलियों में पूरी तरह से फेल साबित हो रहे है। इन मंत्रियों का पूरा ध्यान केवल विभागों से बजट को हेरफेर कर पैसा खाने में लग रहा है।


धार्मिक सेवा से जुड़े लोग –

राजधानी भोपाल जैसी स्थान पर करूणाधाम आश्रम जैसा सेवाधाम चल रहा है। जहां आए दिन गुरु सुदेश शांडिल्य महाराज सैकडो़ं लोगों को भोजन कराने का काम करते है। ऐसे में यदि मुख्यमंत्री शांडिल्य महाराज से बातचीत कर इसका विस्तार करें तो कम से कम इलाज के लिए अस्पतालों में पड़े भूखे परिजनों को दो -वक्त का खाना तो मिल सकेगा।
सिने जगत के लोग भी करें मदद – मध्य प्रदेश ने बॉलीवुड को कई नामचीन चेहरे दिए। इनमें जया बच्चन, प्रकाश झा, आशुतोष राणा, गोविंद नामदेव, दिव्यांका त्रिपाठी दाहिया, मुकेश तिवारी, को सोनू सूद से सीख लेना चाहिए। बीते वर्ष सोनू सूद ने महाराष्ट्र से अपने-अपने घरों की ओर से जाने वाले लाखों लोगों की मदद की। ऐसे में इन अभिनेता-अभिनेत्रियों को भी आगे बढ़कर सरकार से स्वयं बात करनी चाहिए और इस आपदा के समय में लोगों की मदद करने को आगे बढ़ना चाहिए।


किसी संवेदनशील व्यक्ति को सौंपे जिम्मेदारी


प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी जनता के इलाज की व्यवस्था करवाने के बजाय पिछले एक महीनें से भी अधिक समय से नदारद है। लोगों ने जब सोशल मीडिया पर उनके गुमशुदगी संबंधी मैसेज चलाने शुरू किए तो मालूम चला कि मंत्री जी दमोह उपचुनाव में प्रचार प्रसार में जुटे है। अब सोचने वाली बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख जिम्मेदारी छोड़ जो मंत्री जनता के इलाज की चिंता को छोड़ चुनाव प्रचार प्रसार में जुट जाए तो भला ऐसे व्यक्ति को इस विभाग के मंत्री पद की जिम्मेदारी देना कितना सही है। सिंधिया के खेमे के इन लापरवाह विधायकों को इतने महत्वपूर्ण पोर्टफोलियों दिए ही क्यों जिसको वो संभालने में पूरी तरह से विफल है। फिर चाहे वो गोविंद सिंह राजपूत हो, तुलसीराम सिलावट हो या फिर खुद डॉ. प्रभुराम चौधरी। इन तीनों ही लोगों को सिंधिया के दवाब में आकर मुख्यमंत्री ने इतने महत्वपूर्ण पोर्टफोलियों दिए है जिन्हें ये अब तक संभालने में पूरी तरह से नकारे ही साबित हुए है, इसका सबसे ताजा उदाहरण है प्रभुराम चौधरी। शिवराज सरकार को तत्काल प्रभाव से डॉ. प्रभुराम चौधरी से इस जिम्मेदारी को वापस लेते हुए किसी संवेदनशील व्यक्ति को यह पोर्टफोलियों देना चाहिए, ताकि प्रदेश की जनता के इलाज की समूचित व्यवस्था समय रहते की जा सके।

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